तीन बात
तीन बातोंसे सदा बचो—
- अपनी तारीफ, २. दूसरेकी निन्दा और ३. परदोषदर्शन।
तीन बातें ध्यान रखकर करो—
- ईश्वरका स्मरण, २. दूसरोंका सम्मान और ३. अपने
दोषोंको देखना।
तीन बातें सदा सोचो—
- भगवान्का प्रेम कैसे प्राप्त हो? २. दु:खियोंका दु:ख कैसे दूर हो? और ३. हृदय पाप-शून्य कैसे हो?
तीन बातोंपर सदा अमल करो—
- सत्य, २. अहिंसा और ३. भगवान्का नाम-जप।
तीन बातोंसे सदा अलग रहो—
- परचर्चासे, २. वाद-विवादसे और ३. नेतागिरीसे।
तीनोंपर सदा दया करो—
- अबलापर, २. पागलपर और ३. राह भूले हुएपर।
तीनोंपर दया न करो—
- अपने पापपर, २. आलस्यपर और ३. उच्छृंखलतापर।
तीनोंको सदा वशमें रखो—
- मन, २. उपस्थ-इन्द्रिय और ३. जीभ।
तीनोंके सदा वशमें रहो—
- भगवान्के २. धर्मके और ३. शुद्ध कुलाचारके।
तीनोंसे सदा मुक्त रहो—
- अहंकारसे २. ममतासे और ३. आसक्तिसे।
तीनसे सदा सच्चे रहो—
- धनसे, २. काछसे और ३. जबानसे।
तीनपर ममता करो—
- ईश्वरपर, २. सदाचारपर और ३. गरीबोंपर।
तीनसे सदा डरते रहो—
- अभिमानसे, २. दम्भसे और ३. लोभसे।
तीनके सामने सदा नम्र रहो—
- गुरु, २. माता और ३. पिता।
तीनसे सदा प्रेम करो—
- ईश्वर, २. धर्म और ३. देश।
तीनको सदा हृदयमें रखो—
- दया, २. क्षमा और ३. विनय।
तीनका सदा सेवन करो—
- संत, २. सत्-शास्त्र और ३. पवित्र भूमि।
तीनको हृदयसे निकाल दो—
- राग, २. द्वेष और ३. मत्सर।
तीन व्रतोंका पालन करो—
- पर-स्त्री-सेवनका त्याग, २. पर-धनका त्याग और ३. असहायोंकी सेवा।
तीन उपवास करो—
- एकादशी, २. पूर्णिमा और ३. अमावास्या।
तीन बातोंमें शंका न करो—
- शास्त्र-वचन, २. गुरु-वचन और ३. शुद्ध मनकी प्रेरणा।
तीनका भरण-पोषण करो—
- माता-पिता, २. स्त्री-बच्चे और ३. दीन-दु:खी।
तीनका संग छोड़ दो—
- व्यभिचारीका, २. जुआरीका और ३. लबारीका।
तीन प्रकारके लोगोंसे दूर रहो—
- नास्तिकसे, २. माता-पिता-गुरुका द्रोह करनेवालेसे और ३. संत-पुरुषोंकी निन्दा करनेवालेसे।
तीनकी दशापर विशेष ध्यान रखो—
- विधवा स्त्री २. अनाथ बालक और ३. दबे हुए तथा अनाश्रित प्राणी।
तीनकी आवश्यकताओंपर विशेष ध्यान दो—
- मूकप्राणी, २. संसारत्यागी संन्यासी और ३. कुछ भी न माँगनेवाले अतिथि।
तीनकी परवा न करो—
- धर्म-पालनके लिये कष्टकी, २. दूसरेका कष्ट दूर करनेके लिये धनकी और ३. रोगीकी सेवामें अपने शरीरकी।
तीन आदमियोंको मत रोको—
- दाताको २. दूसरोंकी सेवा करनेवालेको और ३. जल्दी
छूटनेवाली रेलमें चढ़नेकी इच्छावाले मुसाफिरको।
तीन कामोंमें खूब जल्दी करो—
- भजनमें, २. दानमें और ३. शास्त्रके अभ्यासमें।
तीन कामोंको ढीलमें छोड़ दो—
- मुकदमेबाजीको, २. विवादको और ३. किसीके दोष-निर्णयको।
तीन आवेशोंके समय कोई भी क्रिया करनेसे रुक जाओ—
- क्रोधके समय, २. काम-वासनाके समय और ३. लोभके समय।
तीनोंका सम्मान करो—
- वृद्धका, २. ब्राह्मणका और ३. निर्धनका।
तीनोंका सदा हृदयसे आदर करो—
- भगवान्के विग्रहका, २. संत-महात्माका और ३. सत्-शास्त्रका।
तीनोंके सामने नम्र रहो—
- गुरुजन, २. विद्वान् और ३. राजपुरुष।
तीन कामोंको खूब मन लगाकर करो—
- भजन, २. भगवान्का ध्यान और ३. सत्संग।
तीन आँसुओंको पवित्र मानो—
- प्रेमके, २. करुणाके और ३. सहानुभूतिके।
तीन आँसुओंको अपवित्र मानो—
- शोकके, २. क्रोधके और ३. दम्भके।
तीन बननेसे बचो—
- महन्त, २. दीक्षा देनेवाले गुरु और ३. मालिक।
तीन बननेमें सुख मानो—
- अज्ञात सेवक, २. व्यर्थ निन्दाका पात्र और ३.परसुखका साधन।
तीन बातोंका दुराग्रह न करो—
- सम्प्रदायका, २. वेषका और ३. अपने मतका।
तीन बातोंका सदा सत् आग्रह रखो—
- सत्यका, २. धर्मका और ३. सच्चरित्रताका।
तीन कामोंसे कम सम्पर्क रखो—
- सभासमिति, २. अखबारनवीसी और ३. दलबंदी।
तीन न बनाओ—
- शिष्य, २. जमात और ३. मठ।
तीन बनाओ—
- धर्मशाला, २. कुआँ और ३. देवमन्दिर।
तीन चीजें लगाओ—
- वृक्ष, २. प्याऊ और ३. अन्नक्षेत्र।
तीनोंसे घृणा न करो—
- रोगीसे, २. आर्तसे और ३. नीची जातिवालेसे।
तीनसे घृणा करो—
- पापसे, २. अभिमानसे और ३. अपने मनकी मलिनतासे।
तीन जगह मत जाओ—
- वेश्यालय, २. जुवाड़खाना और ३. कलालका घर।
तीन जगह रोज जाओ—
- देवमन्दिर, २. संतकी कुटिया और ३. आजीविकाके स्थान।
तीनसे मजाक न करो—
- अंगहीनसे, २. विधवा या अनाथसे और ३. दीन-दु:खी
प्राणीसे।
तीनको प्रतिदिन प्रणाम करो—
- ईश्वर, २. माता-पिता, पति आदि गुरुजन और ३. संत-महात्मा।
तीन बातोंको मनकी उन्नतिके लिये रोज नियमसे करो—
- स्वाध्याय, २. ध्यान और ३. अपने मानसिक दोषोंका स्मरण।
तीन बातें स्वास्थ्यके लिये रोज नियमसे करो—
- शुद्ध वायुमें घूमना, २. नियमित आहार-विहार और ३. कुपथ्यका त्याग।
तीन चीजोंसे ज्ञान मिलता है—
- श्रद्धा, २. तत्परता और ३. इन्द्रिय-संयम।
तीन नरकके दरवाजोंमें कभी मत घुसो—
- काम, २. क्रोध और ३. लोभ।
तीन आवश्यक साधन करो—
- समता, २. संयम और ३. सब प्राणियोंके हितकी चेष्टा।
तीनको गुरु न बनाओ—
- स्त्रीसेवकको, २. धनके लालचीको और ३. दाम्भिकको।
तीनका चिन्तन न करो—
- स्त्रीका, २.धनका और ३. नास्तिकका।
तीनका चिन्तन नित्य करो—
- भगवान् का, २. संतवाणीका और ३. सदाचरणका।
तीन मुख्य साधन करो—
- वैराग्य, २. अभ्यास और ३. भगवान्की कृपापर विश्वास।
तीन महान् शक्तियोंका आश्रय ग्रहण करो—
- भगवान्की शरणागति, २. भगवत्कृपा और ३. आत्मशक्ति।
तीनपर विश्वास करो—
- भगवान्की दयापर, २. आत्माकी शक्तिपर और ३. सत्य शुद्ध आचरणपर।
तीनपर आस्था न करो—
- कूटनीतिपर, २. दुराचारपर और ३. असत्यपर।
तीन बातोंको भूल जाओ—
- अपनेद्वारा किया हुआ किसीका उपकार, २. दूसरेके द्वारा किया अपना अपकार और ३. धन-मान, साधन आदिके कारण अपनी ऊँची स्थिति।
तीन बातोंको याद रखो—
- अपनेद्वारा की हुई दूसरेकी बुराई, २. दूसरेके द्वारा किया हुआ अपना उपकार और ३. धन-मान-जीवन आदि सब अनित्य और विनाश होनेवाले हैं यह निश्चय।
तीन न बनो—
- कृतघ्न, २. दाम्भिक और ३. नास्तिक।
तीन बनो—
- नम्र, २. सरल और ३. ईश्वरमें विश्वासी।
तीनका आश्रय करो—
- ईश्वरका, २. महात्माका और ३. अभिमानरहित पुरुषार्थका।
तीन बातोंको मत देखो—
- अपने गुण, २. दूसरोंके दोष और ३. जीवोंकी रति-क्रीड़ा।
तीन बातोंको देखो—
- अपने दोष, २. दूसरोंके गुण और ३. महात्माओंके त्यागपूर्ण आदर्श आचरण।
तीनका खण्डन न करो—
- दूसरेके इष्टका, २. दूसरेके शास्त्रका और ३. अपने निश्चयका।
तीनका मण्डन न करो—
- केवल प्रारब्धका, २. अकर्मण्यताका और ३. शास्त्र-विरोधी आचरणका।
तीन प्रकारके वचन बोलो—
- सत्य, २. हितकारी और ३. मधुर।
तीन प्रकारके वचन न बोलो—
- असत्य, २. अनिष्ट करनेवाले और ३. कड़ुए।
तीन बातोंके लिये जबान खोलो—
- भगवत् -गुणानुवाद, २. आवश्यक सत्य वचन और ३. परोपकार।
तीनसे सदा स्नेहपूर्ण बर्ताव करो—
- अपनी पत्नीसे, २. अपने अधीनस्थ कर्मचारियोंसे और ३. गरीबोंसे।
तीनकी सेवामें अपना सौभाग्य समझो—
- माता-पिताकी, २. संत-महात्माकी और ३. दु:खी जीवोंकी।
तीनकी सेवामें आवश्यकता होनेपर कभी संकोच न करो—
- मित्रकी, २. अपनी पत्नीकी और ३. अतिथिकी।
तीन बातोंको गुप्त रखो—
- साधन, २. धन और ३. मैथुन।
तीन बातोंको प्रकट कर दो—
- अपने पाप, २. दूसरेके गुण और ३. परोपकारके साधन।
तीन बातोंको मत खोलो—
- पराया छिद्र या ऐसी बात जिससे किसीका अनिष्ट होता हो, २. अपने पुण्यकी बात और ३. गुप्त शुभ मन्त्रणा।
तीनोंको सिर चढ़ाकर सुखी होओ—
- महापुरुषों और भक्तोंकी चरणरज, २. तीर्थ-जल और ३. अपनी निन्दा।
तीनको पाकर कभी न फूलो—
- मान, २. परनिन्दा और ३. अपनी बड़ाई।
तीनकी कामनामें न फँसो—
- धन, २.पुत्र और ३. सम्मान।