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विश्वास करो

विश्वास करो—परमात्मा है, सर्वत्र व्याप्त है, सबमें ओत-प्रोत है; विश्वास करो, वह परम दयालु है। हम कैसे भी क्यों न हों वह सदा हमारा हित ही किया करता है, विश्वास करो, तुम उसे बड़े प्यारे हो, उसके अपने हो, उसीके स्वरूप हो, चाह करनेपर इस बातको प्रत्यक्ष कर सकते हो, वह तुमसे मिल सकता है। तुम उसे जान सकते हो, देख सकते हो और उसमें समा सकते हो।

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विश्वास करो! तुम दीन-हीन नहीं हो, तुम शुद्ध-बुद्ध हो, तुम अमृत हो, तुम महान् हो, तुम्हारे अन्दर परमात्माकी शक्ति भरी है, तुम चाहो तो सब कुछ कर सकते हो; दूसरी सृष्टि रचनेवाले विश्वामित्र, मुर्देको जिलानेवाले शुक्राचार्य, पत्थरमेंसे प्रत्यक्ष सशरीर भगवान‍्को प्रकट करानेवाले प्रह्लाद और माखन दिखा-दिखाकर आँगनमें कन्हैयाको नचानेवाली गोपियोंमें और तुममें वस्तुत: कोई फर्क नहीं है। तुम भगवान‍्को उतने ही प्यारे हो जितने वे सब थे; तुममें इस बातका विश्वास नहीं है, यही कमी है, दृढ़ विश्वास करो और भगवान‍्के वैसे ही प्यारको प्रत्यक्ष पाकर परम सुखी हो जाओ, स्मरण रखो, आत्मविश्वास ही सफलताकी कुंजी है, विजयका मूल मन्त्र है और परमात्माकी कृपाको खींचनेवाला चुम्बक है।

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विश्वास करो, जगत‍्में ऐसी कोई चीज नहीं, ऐसा कोई स्थान नहीं, ऐसी कोई विद्या नहीं, ऐसी कोई स्थिति नहीं—जिसे तुम नहीं पा सकते। आत्मशक्तिपर विश्वास करो—दृढ़ विश्वास करो, अडिग निश्चय करो, फिर देखो, सफलता तुम्हारे चरणोंपर लोटती है। तुम्हारे मनकी चीजें तुम्हारे पास आनेमें ही अपने जीवनको सफल समझती हैं। तुम्हारी आत्मशक्तिके आगे कुछ भी असम्भव नहीं है।

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विश्वास करो, तुम प्रभुके परम प्रिय हो, प्रभु सदा तुम्हारे साथ हैं, तुम सदा उनकी गोदमें हो, तुमपर उनकी इतनी अपार कृपा है कि जितनी तुम कल्पना भी नहीं कर सकते। उनका अभय हस्त सदा ही तुम्हारे मस्तकपर फिर रहा है, वे सदा ही तुम्हारी रक्षा करते हैं। विश्वासकी कमीसे ही तुम इस सच्ची स्थितिसे वंचित हो रहे हो, विश्वास करो और निर्भय तथा निश्चिन्त हो जाओ।

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विश्वास करो, एक ऐसी स्थिति है, जिसमें अज्ञान, मोह, आसक्ति, दु:ख, अशान्ति, स्वार्थ, शोक, द्वेष, मोह, वैर, विषाद विषमता, मेरे-तेरेकी कल्पना भी नहीं है। जहाँ पूर्ण ज्ञान है, पूर्ण प्रेम है, पूर्ण शान्ति है, पूर्ण समता है, पूर्ण प्रकाश है, पूर्ण आनन्द है और वह स्थिति तुम्हें अवश्य मिल सकती है, तुम वही बन सकते हो।

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