मृतक-कर्म
१—मृतक प्राणीका अन्त्येष्टि-संस्कार विधिवत् करे।
२—उसके लिये शास्त्रोक्त पिण्डदान, तर्पण, श्राद्धादि अवश्य करे। उसके निमित्त अन्न, वस्त्र, जल, भूमि, जूता, छाता आदि दान करे।
३—सम्भव हो तो गोदान करे।
४—जिनके यहाँ तर्पण-श्राद्धादि कर्म नहीं होते, वे कम-से-कम अन्न, वस्त्र, जल, जूता, छाता अवश्य दान करें।
५—मृतक प्राणीकी सद्गतिके लिये भगवत्प्रार्थना, भगवन्नाम-कीर्तन, गीता-पाठ, गायत्री-जप करे-करावे।
६—हो सके तो मूल श्रीमद्भागवत-सप्ताह-पारायण तथा विष्णुसहस्रनामके पाठ करे-करावे।