॥ श्रीहरि:॥
निवेदन
वर्तमान समयमें ‘कर्म’ सम्बन्धी कई भ्रम लोगोंमें फैले हुए हैं। इसलिये इसको समझनेकी वर्तमानमें बड़ी आवश्यकता है। हमारे परमश्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराजने श्रीमद्भगवद्गीताकी ‘साधक-संजीवनी’ हिन्दी-टीकामें इसका बड़े सुन्दर और सरल ढंगसे विवेचन किया है। उसीको इस पुस्तकके रूपमें अलगसे प्रकाशित किया जा रहा है। प्रत्येक भाई-बहनको यह पुस्तक स्वयं भी पढ़नी चाहिये तथा दूसरोंको भी पढ़नेके लिये प्रेरित करना चाहिये। इस पुस्तकके पढ़नेसे कर्मसे सम्बन्धित अनेक शंकाओंका समाधान हो सकता है।