काम न छोड़कर भजन बढ़ाना चाहिये
सप्रेम हरिस्मरण! भगवान्की दी हुई सौगातको सिर चढ़ाना चाहिये और भगवान्के विधानको आनन्दपूर्वक सिर झुकाकर स्वीकार करना चाहिये। मानो आपको तपा-तपाकर खरा सोना बनानेके लिये भगवान्की कृपासे ही यह व्यवस्था हुई है, ऐसा समझना चाहिये। जरा भी मनमें क्षोभ मत कीजिये।
श्री .....जी यहाँ आये थे। बड़े प्रेमसे कहते थे ‘श्री ......जी (अर्थात् आप)-को खूब फटकार लिखिये, उनको बड़ा लोभ हो रहा है, इतने रुपयेका क्या करेंगे, रोज भीख-सी माँगते फिरते हैं। भजनमें क्यों नहीं लगते।’ मैंने उनसे कहा—‘आपके साथी-मित्र हैं, आप ही कहिये।’ व्यापारका हाल लिखा सो ठीक, आपने लिखा कि व्यापारका झंझट छूटता नहीं, परन्तु भगवत्स्मरणके बिना जीवन सूखा-सा प्रतीत होता है, आनन्द नहीं आता।’ बस, यह पिछली बात बड़ी सुन्दर है—इसमें बड़ी आशा भरी है। ‘भगवत्स्मरणके बिना आनन्द न आना, जीवन नीरस-सा प्रतीत होना’—बड़े ही शुभ लक्षण हैं। इन शुभ लक्षणोंको भजन-स्मरण तथा स्वाध्यायके द्वारा बढ़ाते रहिये। फिर व्यापार न छूटनेपर भी छूट जायगा। व्यापार छोड़नेकी जरूरत भी नहीं है। जरूरत तो है आसक्ति छोड़नेकी। आज मान लीजिये, आपने उकताकर, जोशमें आकर या किसीके कहनेसे व्यापार छोड़ दिया, कल पश्चात्ताप होने लगा कि ‘यह तो बहुत बुरा हुआ। व्यापार हाथसे जाता रहा। अब मैदानसे हट गये तो पहले-जैसा जमनेका नहीं। क्या करें!’ ऐसी अवस्थामें उलटा चित्तमें विषाद होगा। चित्त भगवान्में लगने लगे, उसमें आनन्दका अनुभव हो और वह आनन्द विषयोंकी प्राप्तिके आनन्दसे बहुत ही विलक्षण तथा श्रेष्ठ प्रतीत हो, तभी छोड़नेकी बात करनी चाहिये, और तब बात करनी पड़ती नहीं। नीरस चीज रसीली वस्तुके सामने आप ही छूट जाती है। नहीं छूटती तो उसमें खिंचाव—आसक्ति तो नहीं रहती। इसलिये अभी आप छोड़िये नहीं। भजनमें मन अधिक लगाइये। सच्ची बात तो यह है—‘श्रीभगवान् ही जीवनका प्रधान लक्ष्य हैं’ ऐसा निश्चय हुआ नहीं, निश्चय होनेपर तो अपने-आप उससे विरोधी रास्तेसे जीवन हट जायगा। तब भी निराश होनेकी बात नहीं है। भगवान् सबके सुहृद् हैं, आप उनका नाम जपते हैं। नाम अपनी शक्तिसे आप ही काम करेगा। घबराइये नहीं—स्मरण-भजन बढ़ाते रहिये। होने लगे तब कंजूसके धनकी भाँति उसे पकड़ रखिये। मनसे कहिये—‘चिन्तनरूपी धन मिलनेपर, रे दरिद्र! तू उसे छोड़ता क्यों है?’ स्मरण न रहे तब पश्चात्ताप होना चाहिये, सो तो आपको होता ही है। श्रीभगवान्का भजन आप ही बल पैदा करेगा। भरोसा करके भजन कीजिये।