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निवेदन

ब्रह्मलीन परम श्रद्धेय श्रीजयदयालजी गोयन्दकाने अपने परम मित्र हनुमानदासजी गोयन्दका, घनश्यामदासजी जालान, बद्रीदासजी गोयन्दका तथा अन्य विशेष श्रद्धा-प्रेम रखनेवाले महानुभावों एवं परिचित व्यक्तियोंको मारवाड़ी भाषामें पत्र लिखे थे। वे पत्र ‘महत्त्वपूर्ण चेतावनी’ नामक पुस्तकके रूपमें मारवाड़ी भाषामें ज्यों-के-त्यों छापे गये थे जिसके सं० २०४५ से सं० २०६१ तक ७ संस्करण प्रकाशित हुए। इस पुस्तकके सन्दर्भमें कुछ पाठकोंके सुझाव आते रहे कि यदि इन पत्रोंको हिन्दी भाषामें प्रकाशित किया जाय तो हिन्दी जाननेवालोंको विशेष लाभ हो सकता है। अत: महत्त्वपूर्ण चेतावनी नामक पुस्तक उसी नामसे इस संस्करणसे हिन्दी भाषामें प्रकाशित की जा रही है।

पत्रोंका यह दुर्लभ संग्रह परलोकवासी श्रीघनश्यामदासजी जालानने किया था। उनके घरसे प्राप्त इस संग्रहमें ऐसे-ऐसे महत्त्वपूर्ण पत्रोंका समावेश है, जिनमें गूढ़तम आध्यात्मिक भाव भरे हुए हैं। साधक किस प्रकार साधन करके अपने मानव-जीवनका परम लक्ष्य भगवत्प्राप्ति कर सकता है? कौन-कौन-सी बाधाएँ उसके साधनमें अवरोध उत्पन्न करती हैं और उनसे कैसे पार पाया जा सकता है—इन सारी बातोंपर विस्तृतरूपसे प्रकाश डाला गया है। साथ ही भगवत्प्रेम, ज्ञान, वैराग्यसे सम्बन्धित बातें प्राय: प्रत्येक पत्रमें देखी जा सकती हैं।

श्रद्धेय श्रीजयदयालजी गोयन्दका अपने मित्रों तथा प्रेमियोंको दीपावलीपर पत्र दिया करते थे जिनमें उनकी एक ही लगन व्यक्त होती थी कि मनुष्य भगवत्प्राप्ति कर ही ले, कहीं रुके नहीं। इसलिये दीपावलीके पत्रोंमें भी वे चेतावनी एवं साधन-सम्बन्धी बातोंको ही विशेषरूपसे लिखा करते थे, इसीलिये दीपावलीके पत्रोंको भी इस पुस्तकमें जोड़ दिया गया है।

इन पत्रोंको मननपूर्वक पढ़नेसे हमें जीवनमें भगवान् की ओर बढ़नेकी निरन्तर प्रेरणा मिलती है, साथ ही साधकोंके लिये यह पुस्तक बहुत ही लाभदायक सिद्ध हो सकती है ऐसी हम आशा रखते हैं। अत: पाठकोंको इससे अवश्य ही अधिकाधिक लाभ उठाना चाहिये।

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