Hindu text bookगीता गंगा
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अवतार

प्रश्न—अंशावतार क्या होता है?

उत्तर—भगवान‍्की शक्ति अनन्त है। उस अनन्त शक्तिका एक अंश आनेसे अंशावतार होता है॥ ५॥

प्रश्न—भिन्न-भिन्न कल्पोंमें भगवान‍्की अवतार-लीलामें वही प्राणी रहते हैं या बदल जाते हैं?

उत्तर—भगवान् आवश्यकता पड़नेपर ही पुन: अवतार लेते हैं, पर उनकी लीलाके प्राणी (पात्र) बदलते रहते हैं। जैसे, रामलीलामें सदा एक ही पात्र काम नहीं करते, बदलते रहते हैं॥ ६॥

प्रश्न—कृष्णावतार सब अवतारोंसे विलक्षण क्यों है?

उत्तर—कृष्णावतारमें प्रेमकी मुख्यता है। अन्य अवतारोंमें भी प्रेमका अभाव नहीं है, पर उनमें प्रेम प्रकट नहीं है॥ ७॥

प्रश्न—एक तो भगवान् अवतार लेकर लीला करते हैं और दूसरा, संसारमें जो हो रहा है, वह सब भगवान‍्की लीला है—दोनोंमें क्या फर्क है?

उत्तर—अवतारकी लीला एकदेशीय होती है और उसमें भगवान‍्के भावकी मुख्यता है। होनेवाली लीला सर्वदेशीय होती है और उसमें भक्तके भावकी मुख्यता है॥ ८॥

प्रश्न—भगवान् तो युक्तयोगी हैं, फिर अवतारकालमें यह बात क्यों नहीं दीखती? अवतारकालमें वे युंजान योगी क्यों दीखते हैं?*

उत्तर—इसका कारण यह है कि अवतारकालमें भगवान् मनुष्यों-जैसी लीला करते हैं। वे कभी माधुर्यकी लीला करते हैं, कभी ऐश्वर्यकी॥ ९॥

* जो साधना करके सिद्ध होते हैं, ऐसे महापुरुष ‘युंजान योगी’ कहलाते हैं। साधनामें अभ्यास करते-करते उनकी वृत्ति इतनी तेज हो जाती है कि वे जहाँ वृत्ति लगाते हैं, वहींका ज्ञान उनको हो जाता है। परन्तु भगवान् ‘युक्त योगी’ कहलाते हैं। वे साधना किये बिना स्वत:सिद्ध, नित्य योगी हैं। जाननेके लिये उन्हें वृत्ति नहीं लगानी पड़ती, प्रत्युत उनमें सबका ज्ञान स्वत:-स्वाभाविक सदा बना रहता है। वे बिना अभ्यासके सदा सब कुछ जाननेवाले हैं।

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