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नामजप

प्रश्न—पाप तो बहुत पुराने हैं और नामजप अभी करते हैं। नये नामजपसे पुराने पाप कैसे कटते हैं।

उत्तर—इसमें यह बलाबल नहीं देखा जाता कि नया है या पुराना, कम है या ज्यादा। नया पुरानेके लिये ही होता है। गुफामें सैकड़ों वर्षोंका अँधेरा प्रकाश करते ही तत्काल दूर हो जाता है। मनोंभर रूई एक दियासलाईसे जल जाती है। जिस वस्तुका आजतक परिचय (ज्ञान)नहीं हुआ, उससे तुरन्त परिचय हो जाता है॥ १२०॥

प्रश्न—क्या चौबीस घण्टे लगातार नापजप करनेसे भगवान‍्के दर्शन हो सकते हैं?

उत्तर—नामजप करते-करते दर्शनकी लगन लग जाय तो दर्शन हो सकते हैं। वास्तवमें लगनसे दर्शन होते हैं, क्रियासे नहीं। लगन होती है संसारसे विमुख होनेसे॥ १२१॥

प्रश्न—कितना जप करनेसे भगवान‍्के दर्शन हो जाते हैं?

उत्तर—कलिसन्तरणोपनिषद्‍में आया है कि ‘हरे राम०’ का साढ़े तीन करोड़ जप करनेसे भगवान‍्के दर्शन हो जाते हैं। परन्तु यह नियम नहीं है। साढ़े तीन करोड़से भी अधिक जप करनेवाले व्यक्ति हमें मिले हैं, पर उनको भगवान‍्के दर्शन नहीं हुए। कारण यह है कि भगवान‍्का दर्शन होनेमें क्रियाकी प्रधानता नहीं है, प्रत्युत भावकी, प्रेमकी, लगनकी प्रधानता है। अत: प्रेम कम हो तो साढ़े तीन करोड़ जप करनेसे भी दर्शन नहीं होते और प्रेम अधिक हो तो इससे कम जप करनेसे भी दर्शन हो जाते हैं। संख्या इसलिये बतायी जाती है कि आलस्य-प्रमाद न हो।

यदि उद्देश्य तेज हो और अपने बलका सहारा न हो तो एक नामसे ही भगवत्प्राप्ति हो सकती है—‘निरबल ह्वै बलराम पुकारॺो आये आधे नाम’। संख्या (क्रिया)-की तरफ वृत्ति रहनेसे निर्जीव-(निष्प्राण) जप होता है और भगवान‍्की तरफ वृत्ति रहनेसे सजीव-(सप्राण) जप होता है। अत: नामीमें प्रेम होना चाहिये और ‘हमारे प्यारेका नाम है’—इसको लेकर नाम-जप करना चाहिये॥ १२२॥

प्रश्न—भगवान‍्के नाम अनन्त हैं तो क्या अन्तसमयमें किसी भी नामसे कल्याण हो जायगा?

उत्तर—वृत्ति भगवान‍्में होगी तो कल्याण होगा। यह नाम भगवान‍्का है—ऐसी वृत्ति होनी चाहिये। नाममें भी कल्याण करनेकी शक्ति है, पर उसमें हमारी वृत्ति कारण है; जैसे-सरदी लगनेपर गरम कपड़ा ओढ़ते हैं तो हमारे शरीरकी गरमी ही कपड़ेमें आती है और हमारी ठण्डी दूर करती है। अन्तकालमें भगवन्नाम इसलिये सुनाते हैं कि उसमें भगवान‍्में वृत्ति करानेकी शक्ति है॥ १२३॥

प्रश्न—मरनेवाला तो संसारका चिन्तन कर रहा है, पर दूसरा व्यक्ति उसको भगवन्नाम सुना रहा है तो क्या उसका कल्याण हो जायगा?

उत्तर—भगवान‍्ने मनुष्यको अन्तकालमें विशेष छूट दी है। अत: अन्तकालमें भगवन्नाम सुनानेसे वहाँ यमदूत नहीं आयेंगे। दूसरी बात, नाम सुनानेवालेका उद्देश्य कल्याण करनेका है तो नाम सुनानेसे उसका कल्याण हो जायगा। तीसरी बात, नाम सुननेसे मरनेवाले व्यक्तिको अन्तकालमें भगवान‍्की याद आ जायगी तो उसका कल्याण हो जायगा॥ १२४॥

प्रश्न—कोई भगवन्नाम न सुनाकर कीर्तनकी टेप लगा दे तो?

उत्तर—उसमें भी टेप लगानेवालेका उद्देश्य काम करेगा॥ १२५॥

प्रश्न—कोई भगवन्नाम न सुनाकर मनसे नामजप करे तो?

उत्तर—उसका उद्देश्य काम करेगा॥ १२६॥

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