प्राण
प्रश्न—प्राणशक्ति और चेतनाशक्ति क्या है?
उत्तर—प्राणशक्ति क्रियात्मक होनेसे ‘राजसी’ है और चेतनाशक्ति विवेकात्मक होनेसे ‘सात्त्विकी’ है। शरीरका हिलना-डुलना प्राणशक्ति से होता है। छिपकलीकी पूँछ कटनेपर भी प्राणशक्तिके कारण हिलती रहती है और प्राणशक्ति धीरे-धीरे समष्टि प्राणमें लीन हो जाती है। चेतनाशक्ति अन्त:करणकी वृत्ति है। एक आदमी सोया हुआ है और एक आदमी मरा हुआ है। प्राणशक्ति काम न करनेसे दोनोंके शरीर अचल हैं। परन्तु दोनोंका चेहरा देखें तो उसमें अन्तर दीखता है। यह अन्तर सोये हुए आदमीमें चेतनाशक्ति होनेके कारण दीखता है॥ १४२॥
प्रश्न—मरनेपर प्राण (सूक्ष्मशरीर) निकल जाता है, फिर छिपकलीकी कटी पूँछ क्यों हिलती रहती है?
उत्तर—उसमें प्राण रहता है, तभी वह हिलती है। प्राण धीरे-धीरे निकलते हैं। इसलिये किसीके मरनेके बाद भी उसका तुरन्त अग्नि-संस्कार न करके लगभग आधा घण्टातक भगवन्नाम-कीर्तन करते रहना चाहिये।
प्राण (वायु)-के बिना कोई क्रिया हो ही नहीं सकती। शरीरकी सभी क्रियाएँ प्राणोंसे ही होती हैं। प्राणोंसे ही गमनागमन होता है। बल भी वायुका ही होता है। वायुपुत्र होनेके कारण ही हनुमान्जी और भीम बड़े बलवान् हैं। कोई भारी वस्तु उठाते हैं तो श्वास (वायु) रोककर ही उठाते हैं। श्वास लेते हुए भारी वस्तु नहीं उठा सकते॥ १४३॥