॥ श्रीहरि:॥
प्राक्कथन
बालक हो, युवा हो अथवा वृद्ध हो, सबकी कहानियाँ सुननेमें स्वाभाविक रुचि रहती है। समाजके उत्थान और पतनमें कहानियाँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सन्तोंके मुखसे नि:सृत कहानियाँ जहाँ समाजमें अमृत (सद्गुण-सदाचार)-की गंगा बहाती हैं, वहीं सांसारिक उपन्यास, सिनेमा, टेलीविजन आदिके द्वारा प्रसारित कहानियाँ समाजमें विष (दुर्गुण-दुराचार)-की सरिता बहाती हैं। बालककी प्रथम गुरु माँ भी कहानियोंके माध्यमसे ही उसके कोमल हृदयमें अच्छे संस्कार जाग्रत् करती है, जो उसके भावी जीवनको उन्नत बनानेमें सहायक होते हैं।
पारमार्थिक विषयको सरलतासे समझनेमें भी कहानियाँ बहुत सहायक होती हैं। पौराणिक कहानियों (कथाओं)-का भी यही तात्पर्य है कि पारमार्थिक विषय सरलतासे समझमें आ जाय। कठिन-से-कठिन पारमार्थिक बातोंको भी कहानियोंके सहारे सुगमतापूर्वक समझकर जीवनमें उतारा जा सकता है। कहानियोंके द्वारा मित्रसम्मित अथवा कान्तासम्मित उपदेश प्राप्त होता है, जो मनुष्यको स्वभावत: प्रिय होता है। इसलिये श्रद्धेय श्रीस्वामीजी महाराज अपने प्रवचनोंमें मार्मिक विषयको समझानेके उद्देश्यसे अनेक कहानियाँ कहा करते हैं, जो आबालवृद्ध सभी श्रोताओंके हृदयपर गहरा प्रभाव छोड़ती हैं। उनमेंसे बत्तीस कहानियोंका संकलन पहले ‘आदर्श कहानियाँ’ के नामसे प्रकाशित हो चुका है। अब तीस कहानियोंका संकलन प्रस्तुत पुस्तकके रूपमें प्रकाशित किया जा रहा है। आशा है, पाठकगण इन रोचक एवं ज्ञानप्रद कहानियोंको पसन्द करेंगे और इनकी शिक्षाओंको अपने जीवनमें उतारनेकी चेष्टा करेंगे।