भगवान्के नामोंमें कोई छोटा-बड़ा नहीं
प्रिय महोदय! सप्रेम हरिस्मरण। आपका पत्र मिला था। उत्तरमें देर हुई, इसके लिये क्षमा करें।
भगवान्के नामोंमें छोटा-बड़ा कोई नहीं है। जिसको जिस नाममें रुचि हो, जो प्रिय लगे वह उसीका जप-कीर्तन करे, परंतु दूसरे किसीको भी छोटा न समझे, न किसीकी निन्दा करे। जैसे एक ही भगवान्के अनेक स्वरूप हैं, वैसे ही अनेक नाम भी हैं। भगवान् दो नहीं हैं। जो भगवान्के जिस नाम-रूपका उपासक हो, वह उसी नाम-रूपकी उपासना करे, पर यह समझे कि दूसरे जितने नाम-रूप हैं, सब मेरे ही भगवान्के हैं। जो दूसरे नाम-रूपोंको किसी दूसरे भगवान्के मानकर उनकी निन्दा करता है, वह अपने ही भगवान्को सीमित और अल्प बनाता है। श्रीकृष्णका उपासक यह माने कि श्रीराम, श्रीविष्णु, शिव, गणेश, दुर्गा, सूर्य, मुसलमानोंके अल्लाह, खुदा, ईसाइयोंके परम पिता सब मेरे ही श्रीकृष्णके स्वरूप हैं और उन्हींके नाम हैं। इसी प्रकार दूसरे नाम-रूपोंके उपासक भी मानें। ऐसा माननेपर न तो अनन्यतामें बाधा आती है, न सम्प्रदायके नामपर राग-द्वेष बढ़ता है और न भगवान्के नामपर भगवान्की अवज्ञा ही होती है। अतएव हमलोगोंको चाहिये कि हम अपने इष्टका नाम-जप करें और दूसरोंके इष्टको भी अपने ही इष्टका स्वरूप समझें; क्योंकि भगवान् एक ही हैं।