भवरोगकी दवा
प्रिय महोदय! सप्रेम हरिस्मरण। पत्र मिला। शान्तिकी प्राप्तिका सहज उपाय है—भगवान्को अपना परम सुहृद् मानना और भगवान्का सतत स्मरण करते रहना। भगवत्कृपापर विश्वास और भगवान्का स्मरण—ये दो ऐसी रामबाण दवा हैं कि इनसे सारे भवरोगोंका, सारे अशान्ति-उपद्रवका सर्वथा नाश हो जाता है। आप इस दवाको आजमाकर देखिये।
बुरे आचरणोंको हटानेके लिये सत्संगका आश्रय लेना चाहिये। सद्ग्रन्थोंका अध्ययन करना चाहिये और विषयलोलुपता बढ़े, ऐसे प्रत्येक प्रकारके संगसे अपनी प्रत्येक इन्द्रियको बचाना चाहिये।
जहाँतक बने किसीकी निन्दा नहीं करनी चाहिये और न किसीका दोष देखना चाहिये तथा अपने पास तन-मन-धन जो कुछ भी है, सबको भगवान्का समझकर भगवान्की सेवामें लगाना चाहिये।