गुरु कैसे मिले
आपका कृपापत्र मिला। आपने लिखा कि परमार्थकी सिद्धिके लिये गुरुकी आवश्यकता है, सो आपका लिखना ठीक है। गुरु बिना मार्ग कौन बतायेगा? परंतु गुरु होना चाहिये सच्चा मार्गदर्शक ही। मार्गदर्शक वही होगा, जो मार्ग जानता होगा और शिष्यको भी उसी मार्गसे ले जानेकी इच्छा रखता होगा। आजकल ऐसे गुरु बहुत कम हो गये हैं। एक जगह कहा है—
गुरवो बहव: सन्ति शिष्यवित्तापहारका:।
दुर्लभोऽयं गुरुर्देवि शिष्यसन्तापहारक:॥
‘शिष्यके धनका अपहरण करनेवाले गुरु बहुत होते हैं, परंतु शिष्यके सन्तापको हरनेवाले गुरु दुर्लभ हैं। बहुत कुछ ऐसी ही बात है भी।’
ऐसी हालतमें गुरुके लिये विशेष चिन्ता न करके भगवान्का भजन, ध्यान, शुद्ध आचरण और श्रद्धा-विश्वासके साथ भगवान्से प्रार्थना करनी चाहिये। भगवान् यदि गुरुकी आवश्यकता समझेंगे तो वे अपने-आप ही योग्य गुरुकी व्यवस्था कर देंगे। बल्कि विशेष प्रयोजन होनेपर स्वयं भगवान् ही गुरुरूपमें आपको उपदेश कर देंगे।
रही स्त्रियोंके गुरु करनेकी बात, सो इस विषयमें मेरी नम्र सम्मति तो यह है कि स्त्रियोंको अपने मनसे भगवान्को ही गुरु बनाना चाहिये। इसीमें कल्याण है।