Hindu text bookगीता गंगा
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पापसे घृणा कीजिये

सप्रेम हरिस्मरण। आपने मालिकको मालूम हो जानेके कारण दुराचार छोड़ दिया, यह कोई बहुत आशाकी बात नहीं है। आपके मनमें वेश्या-संगके प्रति घृणा होनी चाहिये। वेश्यागामी लोग स्वयं तो पतित होते ही हैं, वे समाजकी भोली-भाली, सतायी हुई, विपद् में पड़ी हुई अबलाओंको पापके कीचड़में फँसानेके कारण बनकर महापाप करते हैं। आप उस सर्वान्तर्यामी मालिकसे डरिये, जिससे आपकी एक भी बात छिपी नहीं रह सकती। आपके दो साथियोंको, जो अभी इस पापमें पड़े हैं, उन्हें भी बचानेका प्रयत्न कीजिये। उन्हें सच्चे मनसे समझाइये; परंतु यह नहीं होना चाहिये कि आप भी पुन: उसी मार्गमें प्रविष्ट हो जायँ। जबतक आपके मनमें वस्तुत: इस कृत्यसे घृणा नहीं होगी और जबतक मालिकोंके मालिक भगवान‍्का आपको डर नहीं होगा, तबतक ऐसी शंका हो ही सकती है। आप भगवान‍्से प्रार्थना कीजिये कि वे आपको तथा आपके मित्रोंको बल दें, सद‍्बुद्धि दें और इस पापके भयानक पंकसे निकाल दें। साथ ही दृढ़ प्रतिज्ञा कीजिये कि भविष्यमें चाहे कुछ भी हो जाय, यह पाप कभी नहीं करेंगे। विशेष भगवत्कृपा।

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