Hindu text bookगीता गंगा
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तीर्थमें जाकर

(१)

तीर्थमें जाकर—दूसरोंको आराम दो, स्वयं आराम मत चाहो।

तीर्थमें जाकर—दूसरोंको सुविधा दो, स्वयं सुविधा मत चाहो।

तीर्थमें जाकर—दूसरोंको सम्मान दो, स्वयं सम्मान मत चाहो।

तीर्थमें जाकर—दूसरोंको सेवा दो, स्वयं सेवा मत चाहो।

इससे—अपने-आप सबको आराम मिलेगा। अपने-आप सबको सुविधा मिलेगी। अपने-आप सबको सम्मान मिलेगा। अपने-आप सबको सेवा मिलेगी।

तीर्थमें जाकर—दूसरोंकी आशा भरसक पूरी करो, दूसरोंसे आशा मत करो।

तीर्थमें जाकर—दूसरोंके अधिकारकी रक्षा करो, अपना अधिकार त्याग दो।

तीर्थमें जाकर—दूसरोंके साथ उदारता बरतो, अपने साथ न्याय बरतो।

तीर्थमें जाकर—दूसरोंके छोटे दु:खको बड़ा समझो, अपने दु:खकी परवा मत करो।

(२)

तीर्थमें जाकर—बुरी आदत छोड़ो।

तीर्थमें जाकर—झूठा मान छोड़ो।

तीर्थमें जाकर—कटु वचन छोड़ो।

तीर्थमें जाकर—अकर्मण्यता छोड़ो।

तीर्थमें जाकर—झूठ बोलना छोड़ो।

तीर्थमें जाकर—रिश्वतखोरी छोड़ो।

तीर्थमें जाकर—बेईमानी-चोरी छोड़ो।

तीर्थमें जाकर—स्वार्थपरता छोड़ो।

तीर्थमें जाकर—ईर्ष्या-डाह छोड़ो।

तीर्थमें जाकर—शराब-कबाब छोड़ो।

तीर्थमें जाकर—बीड़ी-तम्बाकू छोड़ो।

तीर्थमें जाकर—भाँग-गाँजा छोड़ो।

दया करो, ममता नहीं।
सेवा करो, अहसान नहीं॥
प्रेम करो, चाह नहीं।
भक्ति करो, भोग नहीं॥

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