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तीर्थयात्रा किसलिये? तीर्थयात्रामें पाप-पुण्य

तीर्थयात्रा—मौज-आरामके लिये नहीं।

तीर्थयात्रा—सैर-सपाटेके लिये नहीं।

तीर्थयात्रा—मनोरंजनके लिये नहीं।

तीर्थयात्रा—खान-पान-शयनके लिये नहीं।

तीर्थयात्रा—महान् तपस्याके लिये है।

तीर्थयात्रा—परमार्थ-साधनके लिये है।

तीर्थयात्रा—मनकी शुद्धिके लिये है।

तीर्थयात्रा—संयम-नियमके लिये है।

तीर्थयात्रामें—किसीकी सुख-सुविधा छीनना पाप है।

तीर्थयात्रामें—मिथ्या-भाषण करना पाप है।

तीर्थयात्रामें—निन्दा-चुगली करना पाप है।

तीर्थयात्रामें—राजस-तामस भोजन करना पाप है।

तीर्थयात्रामें—पर-स्त्री, पर-पुरुषपर कुदृष्टि करना पाप है।

तीर्थयात्रामें—पर-धनपर मन चलाना पाप है।

तीर्थयात्रामें—सबको सुख-सुविधा देकर पुण्य लूटो।

तीर्थयात्रामें—सत्य-भाषण करके पुण्य लूटो।

तीर्थयात्रामें—भगवान् का नाम-गुण गाकर पुण्य लूटो।

तीर्थयात्रामें—सात्त्विक स्वल्प आहार करके पुण्य लूटो।

तीर्थयात्रामें—अष्ट-मैथुनका त्याग करके पुण्य लूटो।

तीर्थयात्रामें—धन-वैभवमें वैराग्य करके पुण्य लूटो।

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