चेतावनी
मृत्युकालकी सब सामग्री तैयार है। कफन भी तैयार है, नया नहीं बनाना पड़ेगा। उठानेवाले आदमी भी तैयार हैं, नये नहीं जन्मेंगे। जलानेकी जगह भी तैयार है, नयी नहीं लेनी पड़ेगी। जलानेके लिये लकड़ी भी तैयार है, नये वृक्ष नहीं लगाने पड़ेंगे। केवल श्वास बन्द होनेकी देर है। श्वास बन्द होते ही यह सब सामग्री जुट जायगी। फिर निश्चिन्त कैसे बैठे हो?॥१६७॥
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चेत करो! यह संसार सदा रहनेके लिये नहीं है। यहाँ केवल मरने-ही-मरनेवाले रहते हैं। फिर पैर फैलाये कैसे बैठे हो?॥१६८॥
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विचार करो, क्या ये दिन सदा ऐसे ही रहेंगे?॥१६९॥
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मकान यहाँ बना रहे हो, सजावट यहाँ कर रहे हो, संग्रह यहाँ कर रहे हो, पर खुद मौतकी तरफ भागे चले जा रहे हो! जहाँ जाना है, पहले उसको ठीक करो!॥१७०॥
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निश्चित समयपर चलनेवाली गाड़ीके लिये भी जब पहलेसे सावधानी रहती है, फिर जिस मौतरूपी गाड़ीका कोई समय निश्चित नहीं, उसके लिये तो हरदम सावधानी रहनी चाहिये॥१७१॥
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‘करेंगे’—यह निश्चित नहीं है, पर ‘मरेंगे’—यह निश्चित है॥१७२॥
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आप भगवान्को नहीं देखते, पर भगवान् आपको निरन्तर देख रहे हैं॥ १७३॥
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आनेवाला जानेवाला होता है—यह नियम है॥१७४॥
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कालरूप अग्निमें सब कुछ निरन्तर जल रहा है, फिर किसका भरोसा करें? किसकी इच्छा करें?॥ १७५॥
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विचार करो कि अपना कौन है? अगर अभी मौत आ जाय तो कोई हमारी सहायता कर सकता है क्या?॥१७६॥
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जन्मदिन आनेपर बड़ा आनन्द मनाते हैं कि हम इतने वर्षके हो गये! वास्तवमें इतने वर्षके हो नहीं गये, प्रत्युत इतने वर्ष मर गये अर्थात् हमारी उम्रमेंसे इतने वर्ष कम हो गये और मौत नजदीक आ गयी!॥१७७॥
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बालक जन्मता है तो वह बड़ा होगा कि नहीं, पढ़ेगा कि नहीं, उसका विवाह होगा कि नहीं, उसके बाल-बच्चे होंगे कि नहीं, उसके पास धन होगा कि नहीं आदि सब बातोंमें सन्देह है, पर वह मरेगा कि नहीं—इसमें कोई सन्देह नहीं है!॥ १७८॥