Hindu text bookगीता गंगा
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॥ ॐ श्रीपरमात्मने नम:॥

प्राक्‍कथन

सांसारिक दु:खोंसे व्यथित व्यक्तियोंके हृत्तापका प्रशमन करनेके लिये और शाश्वत सुखकी खोजमें निमग्न परमार्थ-पथ-पथिकोंका पथ-प्रदर्शन करनेके लिये यह ‘अमृत-बिन्दु’ नामक पुस्तक प्रस्तुत है। इस पुस्तकके अनमोल बिन्दुओंका चयन परमश्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराजकी अमृतमयी वाणीसे किया गया है। अनेक वर्षोंसे ये अमृत-बिन्दु ‘कल्याण’ मासिक पत्रमें भी प्रकाशित होते आ रहे हैं। पाठकोंके सुविधार्थ इनको विविध विषयोंमें विभक्त करके प्रस्तुत पुस्तकरूपमें प्रकाशित किया जा रहा है।

इस पुस्तकका एक-एक बिन्दु अपने भीतर एक अथाह सागर समेटे हुए है! छोटी-छोटी बातोंमें भी बहुत विशेष अर्थ भरा हुआ है! इन बातोंको पढ़नेमें समय भी अधिक नहीं लगता और इनको निगलने (हृदयमें उतारने)-में कोई परिश्रम भी नहीं होता! विविध विषयोंसे सम्बन्धित ये सार बातें सबके लिये उपयोगी हैं और सब समयमें उपयोगी हैं। न जाने किस समय कौन-सी बात किसकी जीवन-धाराको पलट दे! किसकी हृदय-ग्रन्थिका भेदन कर दे! किसकी उलझनका छेदन कर दे! किसकी चिन्ता, शोक, अशान्तिका निवारण कर दे! इसलिये सभी वर्गोंके भाई-बहनोंको इस संकलनसे लाभ उठाना चाहिये और अमृत-बिन्दुओंकी फुहारसे अपने जीवनको सरस, सुखद एवं सफल बनानेकी चेष्टा करनी चाहिये। किमधिकम्!

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