॥ श्रीहरि:॥
विनय
आधुनिक पाश्चात्य शिक्षाके प्रभावसे स्त्री, बालक और शास्त्रानभिज्ञ लोगोंमें उच्छृंखलता तथा नास्तिकता बढ़ती जा रही है। लोग अपनी जाति, धर्म और सदाचारको त्याग कर पापाचारकी ओर प्रवृत्त होते जा रहे हैं। देश, जाति और धर्मका पतन हो रहा है। अत: वर्तमान वातावरणका बुरा असर न पड़े—इस उद्देश्यसे प्रस्तुत पुस्तकमें संत, महात्मा और धार्मिक पुरुषोंके लक्षण तथा स्त्री-बालक और पुरुषोंके लिये सदाचार और ईश्वर-भक्तिविषयक लेख दिये गये हैं। इस पुस्तकके पठन-पाठनसे पाठकोंके चित्तमें यदि सदाचार और ईश्वरभक्तिका किंचित् भी संचार होगा तो मुझे बड़ी प्रसन्नता होगी।
विनीत
जयदयाल गोयन्दका