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॥ श्रीहरि:॥

भगवान‍्की पूजाके पुष्प

भगवान‍्की पूजाके लिये सबसे अच्छे पुष्प हैं—श्रद्धा, भक्ति, प्रेम, दया, मैत्री, सरलता, साधुता, समता, सत्य, क्षमा आदि दैवी गुण। स्वच्छ और पवित्र मन-मन्दिरमें मनमोहनकी स्थापना करके इन पुष्पोंसे उनकी पूजा करो।

जो इन पुष्पोंको फेंक देता है और केवल बाहरी फूलोंसे भगवान‍्को पूजना चाहता है उसके हृदयमें भगवान् आते ही नहीं, फिर पूजा किसकी करेगा?

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याद रखो—जगत् क्षणभंगुर है, हम सब मौतके मुँहमें बैठे हैं, पता नहीं कालदेवता कब किसको अपने दाँतों-तले दबाकर पीस डालें। अतएव निरन्तर सावधान रहो, किसीको दु:ख न पहुँचाओ, सबके सुखके कारण बनो, सबका मंगल चाहो, सबका हित करो, भगवान‍्में प्रेम करो और शुद्ध व्यवहारसे अपने स्वामी भगवान‍्के प्रति लोगोंमें श्रद्धा-भक्ति उत्पन्न करनेका प्रयत्न करो।

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कभी निराश मत हो। यह निश्चय रखो, तुम्हारी आत्मशक्ति भी उतनी ही है, जितनी संसारके बहुत बड़े-बड़े महापुरुषोंमें थी। निश्चय, विश्वास और साधनसे आत्मशक्तिका विकास करो। यदि तुम्हारा निश्चय दृढ़ हो, विश्वास अटल हो और साधन नियमित और नित्य हो तो इसी जन्ममें तुम ऊँचे-से-ऊँचे ध्येयको प्राप्त कर सकते हो। अपनी शक्तिहीनताको देखकर उत्साह न छोड़ो। परमात्मा अनन्तशक्ति हैं और अपनी शक्ति तुम्हें प्रदान करनेके लिये तैयार हैं। निश्चय और विश्वासके बलपर उस शक्तिको ग्रहण करनेकी तुम्हारी स्थिति होनी चाहिये। यह स्थिति तुम अर्जन कर सकते हो।

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शास्त्रोंकी कोई बात समझमें न आवे तो उसपर अविश्वास न करो। संसारकी सभी बातें सबकी समझमें नहीं आ सकतीं। यदि दैवी सम्पत्तिके विकासमें बाधा होती हो तो उस बातको काममें न लाओ। अपनेको अनधिकारी समझो। दैवी सम्पत्ति बढ़ती हो तो न समझमें आनेपर भी उस बातको मानकर उसे काममें लाओ। तुम्हारा अकल्याण नहीं होगा।

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