भगवान् की पूजा के पुष्प
(श्रद्धेय श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार)
‘शिव’ का निवेदन
भगवान्की पूजाके पुष्प
योगका अर्थ
संत-महात्माओंकी सेवा कैसी हो?
संत-महात्माकी कृपाका फल
अध्यात्मविद्या
जीवनका एक-एक क्षण प्रभु-स्मरणके लिये है
सच्चे धनी बनो
आधारकी शुद्धि
धन-स्त्री-मानका मोह छोड़ दो
वेदान्त-तत्त्व
वेदान्त क्या है?
वैराग्यके साधन
सच्चिदानन्द
दुनियाका सुधार और उद्धार
सदा अपने मनको देखते रहो
व्यक्तित्वका प्रचार मत करो
भगवत्कृपापर विश्वास
मायाकी मोहिनी
परमात्मा एक है
सन्तकी सेवा
अन्धे-बहरे बन जाओ
सबके साथ आत्मवत् व्यवहार करो
तुम कौन हो?
खेलो, परन्तु फँसो मत
केवल परमात्मा ही हैं
सदा सन्तुष्ट रहो
सुख-शान्तिके भण्डार भगवान् हैं
मनको विशुद्ध करो
परमात्माका स्वरूप सत्य है
साधन-पथके विघ्न
तुम क्यों चिन्ता करते हो?
आत्माकी अनन्त शक्ति
घबराओ मत
भगवान्को पुकारो
उपदेश करो अपने लिये
अपनेको भगवान् पर छोड़ दो
सिद्धान्तको लेकर मत लड़ो
सच्ची सफलता
भगवान्की रुचि
विपत्तिकी अवस्थामें विश्वास
साधना
शुभका ग्रहण करो
बुराईसे बचो
स्वरूपको सँभालो
सब कुछ एक भगवान् ही हैं
गुरु बननेकी चेष्टा मत करो