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जीवनका एक-एक क्षण प्रभु-स्मरणके लिये है

याद रखो—जीवन बहुमूल्य है; इसका एक-एक क्षण प्रभुके स्मरणके लिये है; अतएव इसे व्यर्थ मत खोओ। एक-एक क्षणको सावधानीके साथ प्रभुके चिन्तन और प्रभुकी सेवामें लगाओ। केवल शरीर और वाणीसे ही नहीं, मनसे भी निरन्तर प्रभुका ही सेवन करो, देखते रहो, सँभाल रखो, चित्तरूपी महलमें चोर न घुस जायँ। जो पहलेसे घुसे बैठे हैं, उन्हें निकालो और आइंदा घुसने न दो।

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काम, क्रोध, अभिमान, दम्भ, मोह, ईर्ष्या, असूया, वैर आदि ही प्रधान चोरोंमेंसे हैं। इनमें एक-एकको पहचान लो और लुके-छिपे जहाँ दिखायी दें, तुरन्त निकालनेका यत्न करो! याद रखो—जबतक ये विकार चित्तमें भरे हैं तबतक तुम परमात्मासे बहुत दूर हो।

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मनमें प्रभुको बैठाये रखनेकी चेष्टा करो, फिर ये चोर वैसे ही नष्ट हो जायँगे, जैसे सूर्यके प्रकाशमें अँधेरा नष्ट हो जाता है। मनको प्रभुके साथ जोड़ दो—जहाँ प्रभु जायँ वहाँ मन जाय और जहाँ मन जाय वहाँ प्रभु साथ रहें। क्षण-क्षणका हिसाब रखो। एक पलके लिये प्रभुके साथ मनके संयोगको न टूटने दो।

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यह मत मानो कि मन बड़ा बलवान् है, यह कैसे प्रभुचरणोंमें बँधा रहेगा। याद रखो—मनकी शक्ति तुम्हारी शक्तिसे बहुत ही कम है और जो कुछ है सो भी तुम्हारी ही दी हुई। तुम मनके मालिक हो, गुलाम नहीं। तुम्हारे ही बलसे यह दुष्ट मन, तुम्हें अपना बल याद न रहनेके कारण दबा बैठा है। हिम्मत करके जरा जोरसे धक्‍का लगाओ, मन उलटकर तुम्हारी गुलामी स्वीकार कर लेगा। फिर तुम्हें तो प्रभुका असीम बल प्राप्त है। उसपर विश्वास करो। विश्वास करते ही तुम अपनेमें उसे देखोगे। फिर तमाम विरोधी शक्तियोंका बल तुम्हें उस दैवी बलके सामने तुच्छ जान पड़ेगा। फिर अपने-आप ही सब तुम्हारे प्रभुत्वको स्वीकार कर सहायक और सेवक बन जायँगे।

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जो इन्द्रियोंके भोगोंमें ही सुख देखता है, वह मनकी गुलामीसे मुक्त नहीं हो सकता। भोगोंमें सुख या आरामकी कल्पनाको निकाल दो। सुख केवल भगवान‍्में ही है और वह भगवान् तुम्हारे अपने हैं। भगवान‍्में सुख देखो, जब वह दिखायी देने लगेगा तब उस सुखके सामने भ्रमसे प्रतीत होनेवाले इन सुखोंका स्वप्न तुरन्त भंग हो जायगा।

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संसारमें धर्मशालामें ठहरे हुए मुसाफिरकी भाँति सावधान, अस्थायी तथा सदा चलनेके लिये तैयार होकर रहो। गाफिल मत होओ, चोरोंसे लुट जाओगे। काम-क्रोधरूपी चोर मौका ही ताकते रहते हैं। यहाँके निवासी को स्थायी मत समझो, यह तुम्हारा घर नहीं है, जमकर रहना चाहोगे तो निकाल दिये जाओगे। नाहक दु:ख होगा। तैयार नहीं रहे और गाड़ी खुल गयी तो पछताओगे! फिर यह मनुष्य-देहरूपी गाड़ी सहज ही नहीं मिलेगी। अतएव सावधान!

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