॥ श्रीहरि:॥
अमूल्य बातें
(१) कन्याएँ प्रतिदिन सुबह-शाम सात-सात बार ‘सीता माता’ और ‘कुन्ती माता’ नामोंका उच्चारण करें तो वे पतिव्रता होती हैं।
(२) कोई व्यक्ति हमसे नाराज हो, हमारे प्रति उसका भाव अच्छा न हो तो प्रतिदिन सुबह-शाम मनसे उसकी परिक्रमा करके दण्डवत् प्रणाम करे। ऐसा करनेसे उसका भाव बदल जायगा। फिर वह व्यक्ति कभी मिलेगा तो उसके भावोंमें अन्तर दीखेगा। भजन-ध्यान करनेवाले साधकके मानसिक प्रणामका दूसरेपर ज्यादा असर पड़ता है।
(३) किसी व्यक्तिका स्वभाव खराब हो तो जब वह गहरी नींदमें सोया हो, तब उसके श्वासोंके सामने मुख करके धीरेसे कहें कि ‘तुम बड़े अच्छे हो, तुम्हारा स्वभाव बड़ा सुन्दर है, तुम्हारेमें क्रोध नहीं है’ आदि। कुछ दिन ऐसा करनेसे उसका स्वभाव सुधरने लगेगा।
(४) जो व्यक्ति रात्रि साढ़े ग्यारहसे साढ़े बारह बजेतक अथवा ग्यारहसे एक बजेतक जगकर भजन-स्मरण, नाम-जप करता है, उसको अन्त-समयमें मूर्च्छा नहीं आती और भगवान्की स्मृति बनी रहती है।
(५) गायको सहलानेसे, उसकी पीठ आदिपर हाथ फेरनेसे गाय प्रसन्न होती है। गायके प्रसन्न होनेपर साधारण रोगोंकी तो बात ही क्या है, बड़े-बड़े असाध्य रोग भी मिट सकते हैं। लगभग बारह महीनेतक करके देखना चाहिये।