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मनके कार्य

१—कभी किसीका बुरा न चाहे, बुरा होता देखकर प्रसन्न न हो।

२—व्यर्थ-चिन्तन, दूसरेका अनिष्ट-चिन्तन, काम-क्रोध-लोभ आदिके निमित्तसे चिन्तन न करे।

३—किसीकी कभी हिंसा न करे।

४—भगवान‍्की कृपापर विश्वास रखे। भगवान‍्का चिन्तन करे। उनकी लीला, नाम, गुण, तत्त्वका चिन्तन करे। संतोंके चरित्रोंका, उनके उपदेशोंका चिन्तन करे।

५—विषयोंका चिन्तन न करके भगवान‍्का चिन्तन करे।

६—पुरुष स्त्री-चिन्तन और स्त्री पुरुष-चिन्तन न करे।

७—नास्तिक, अधर्मी, अनाचारी, अत्याचारी तथा उनकी क्रियाओंका चिन्तन न करे।

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