Hindu text bookगीता गंगा
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विनीत निवेदन

इस छोटी-सी पुस्तिकामें मनुष्यमात्रके लिये—विशेषत: हिंदुओंके लिये—जो विशुद्ध जीवन बिताना चाहते हैं, जानने, धारण करने एवं आचरणमें लाने योग्य सभी बातें सूत्ररूपसे ग्रथित कर दी गयी हैं। इसमें लिखी गयी सभी बातें शास्त्रोंपर आधारित ही नहीं, प्राय: लेखकके जीवनमें उतारी हुई एवं अनुभवकी कसौटीपर कसी हुई होनेसे अत्यन्त उपादेय एवं लोकहितसे पूर्ण हैं। मेरा अपना विश्वास है कि इन्हें आचरणमें लानेसे व्यक्ति एवं समाजका परम मंगल निश्चित है। इसमें समाविष्ट तथ्योंका जितना ही प्रचार-प्रसार होगा, जगत‍्में उतना ही सुख-शान्तिका विस्तार होगा। इसमें दिये हुए अमूल्य निर्देश आजकी भूली हुई एवं पथभ्रष्ट मानवताका उचित मार्गदर्शन करेंगे और जीवनको परमार्थकी ओर बढ़ानेमें निश्चितरूपसे सहायक होंगे। विशेषत: भारतीय जनताका, जो अपने आध्यात्मिक लक्ष्यको और त्रिकालदर्शी ऋषि-मुनियोंके द्वारा निर्धारित विश्वकल्याणकारी सिद्धान्तोंको भूलकर पश्चिमके भोगवादके पीछे पागल हो रही है—इससे महान् उपकार होगा। इसमें जीवनके सभी पहलुओंपर आध्यात्मिक दृष्टिकोणसे विचार किया गया है। मेरा अनुरोध है कि इस पुस्तिकाका देशकी सभी भाषाओंमें अनुवाद होकर जन-जनमें वितरण किया जाय। अन्तमें भगवान‍्से प्रार्थना है कि वे हम सबको सुबुद्धि दें और सत्पुरुषोंके बताये हुए मार्गपर चलनेकी योग्यता और क्षमता प्रदान करें।

चिम्मनलाल गोस्वामी

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