धर्म और भगवान्
आपका कृपापत्र मिल गया था। मैं समयपर जवाब न दे सका। माफ कीजियेगा। आप मुसलमान हैं, इसीलिये मेरे मनमें आपके प्रति मुहब्बत कम क्यों होती? मुहब्बतसे और इन हिन्दू-मुसलमान नामोंसे क्या सरोकार? लेकिन अफसोस तो यह है कि आज हम इस हालतपर पहुँच गये हैं कि एक-दूसरेपर सन्देह करने लगे हैं और इसीसे ऐसे सवाल भी मनमें पैदा होते हैं। आपने इस्लामका बड़ा ही सुन्दर अर्थ किया है। आपका यह अर्थ यदि भारतीय मुसलमान भाई जानते या मानते, उनके हृदयोंमें काश, यह अर्थ आ जाता तो आज जहाँ एक-दूसरेके गलेपर छूरी चलायी जाती है वहाँ एक-दूसरेके हाथ परस्पर रक्षा करनेके लिये छत्रछायाकी तरह ऊपरको उठे होते और फिर क्या मजाल कि कोई तीसरा हममें भेद उत्पन्न करके लड़ा सकता। परन्तु आज तो जमाना ही बदल गया है। हमने ईश्वरके और धर्मके नामपर ही ईश्वर और धर्मकी हत्या करना शुरू कर दिया है। पता नहीं इसका क्या नतीजा होगा।
ईश्वर एक है, धर्म उसकी प्राप्तिके रास्ते हैं। वे धर्म धर्म नहीं जो ईश्वर-प्राप्तिके रास्तेमें रोड़े अटकावें। सच्ची बात तो यह है कि एक ही भगवान्को हमलोग भिन्न-भिन्न नामोंसे पूजते हैं। हमारे श्रीकृष्ण ही आपके अल्लाह हैं। मजहबके नामों और देशकी सीमाओंके भेदसे न तो भगवान् अनेक हो जाते हैं और न अखण्ड आत्माके स्वरूपमें ही अन्तर आ सकता है। यह तो मनुष्यकी हठधर्मिता है जो वह अपना अज्ञान ईश्वरपर लादकर ईश्वरको छोटे दायरेमें कैद करना चाहता है। भगवान् सबको सुमति दें। यही प्रार्थना है........।