Hindu text bookगीता गंगा
होम > लोक परलोक का सुधार > नम्र निवेदन

॥ श्रीहरि:॥

नम्र निवेदन

भाईजी (श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार) के नाम समय-समयपर कई मित्रोंके तथा अन्य अपरिचित सज्जनोंके भी ऐसे पत्र आया करते हैं, जिनमें साधन-सम्बन्धी तथा व्यवहार-सम्बन्धी व्यक्तिगत शंकाओंका समाधान चाहा जाता है। समयका संकोच होनेपर भी वे यथासम्भव समय निकालकर देर-सबेर उनका उत्तर देनेकी चेष्टा करते हैं। उनमेंसे कुछ पत्र ऐसे होते हैं, जिनका ‘कल्याण’ द्वारा उत्तर चाहा जाता है, जिससे और लोग भी उसका लाभ ले सकें तथा कुछ पत्रोंके उत्तर सबके कामके होनेके नाते आंशिक रूपमें अथवा अविकल रूपसे नाम-पता आदि छोड़कर प्रश्नकर्ताकी आज्ञाके बिना भी छाप दिये जाते रहे हैं। ‘कामके पत्र’ शीर्षकसे ऐसे पत्र समय-समयपर ‘कल्याण’ में छपते रहे हैं। कई मित्रोंका अत्यधिक अनुरोध एवं आग्रह देखकर उन्होंने इच्छा न होते हुए भी उन्हें पुस्तकाकारमें छापनेकी अनुमति दे दी है। उन्हींमेंसे कुछ विशेष उपयोगी पत्रोंके संग्रहका यह प्रथम भाग पाठकोंकी सेवामें प्रस्तुत है। व्यवहार-सम्बन्धी बातोंसे लेकर गोपी-प्रेम तथा गोपीभावकी साधना जैसे गूढ़तम एवं परम गोपनीय विषयोंपर भी इन पत्रोंमें यथेष्ट प्रकाश डाला गया है। साधन, भजन, भक्ति, ज्ञान, वैराग्य एवं भगवत्प्रेम आदि सभी आध्यात्मिक विषयोंका इनमें समावेश है। सभी विषयोंका शास्त्रों तथा निजी अनुभवके आधारपर बड़ा ही सुन्दर एवं हृदयग्राही विवेचन किया गया है। भाषा भी बड़ी सरल और रोचक है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि साधनाके मार्गपर चलनेवालोंको समय-समयपर जिन-जिन कठिनाइयोंका अनुभव होता है, जिन-जिन विघ्नोंका सामना करना पड़ता है तथा व्यवहारमें जो-जो अड़चनें आती हैं उन्हें हृदयंगम करके उनका यथोचित समाधान करनेकी चेष्टा इन पत्रोंके द्वारा की गयी है, जिनसे यह संग्रह सभीके लिये बहुत ही कामकी चीज हो गया है। आशा है, अध्यात्म-प्रेमी जनता लेखकके अमूल्य अनुभवोंसे लाभ उठाकर जीवनको उन्नत एवं सफल बनानेकी चेष्टा करेगी। पुस्तक बड़ी न हो, इसके लिये कई भागोंमें निकालनेका विचार किया गया है।

विनीत
चिम्मनलाल गोस्वामी

अगला लेख  > कुछ आवश्यक बातें