अगर काममें ले तो नयी है
प्रवचन-दिनांक—४-८-१९३८, रात्रि, गोविन्द भवन, कोलकाता
कहनेके लिये कोई नयी बात नहीं है वे ही दो-चार बातें रटी-रटाई हैं। पंडितजीने कोई नयी बात कहनेके लिये कहा था, बात तो पुरानी ही है, यदि काममें लें तो इस दृष्टिसे नयी है। भगवान् की बात बार-बार कहनी चाहिये, वह नित्य नयी है। कहनेका तात्पर्य है कि मनुष्यको अपने जीवनमें क्या करना चाहिये, इस बातपर यदि ध्यान दे तो पता लगेगा कि अधिकांश लोग भूल ही कर रहे हैं। जो चीज मनुष्य-जीवनमें पानेकी है, उसे पानेका साधन छोड़कर दूसरे कामोंमें लग जाना ही भूल है, इस भूलको हम सभी कर रहे हैं। जो मरते हैं उनका सब कुछ यहीं रह जाता है। जिस एक-एक कणपर स्वामित्व था, मरनेपर वे सारी चीजें परायी हो जाती हैं। जो मनुष्य वासना लेकर मरता है वह प्राय: प्रेत होता है। वह देखता है कि लोग मेरी चीजें ले रहे हैं। उसके दु:खोंका कोई पार नहीं रहता। वह दु:खी रहता है। नरकमें जाता है और बारम्बार दु:ख पाता है।
नारायण नारायण नारायण श्रीमन्नारायण नारायण नारायण