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भगवान् और महापुरुषोंके प्रभावकी बातें

प्रवचन—दिनांक १६-१२-१९५९, रामधाम, चित्रकूट

पापी-से-पापीका भी परमात्माकी शरण होनेसे कल्याण हो जाता है, यह भगवान् का अलौकिक प्रभाव है।

यशोदाके आँगनकी रेतमें भगवान् खेलते हैं, उसमें भगवान् के चरण लगनेसे उसके हर कणमें मुक्ति देनेकी शक्ति है। यह भगवान् का अलौकिक प्रभाव है।

इसी तरहसे महापुरुष हैं। उन्होंने जहाँ वास किया, वह स्थान भी तीर्थ हो गया, जहाँ पतिव्रता स्त्री रही, वह स्थान भी तीर्थ हो गया। जैसे यहाँसे ग्यारह मील दूर अनसूयाजीका मन्दिर है, अनसूयाजी पतिव्रताओंमें श्रेष्ठ मानी जाती हैं। अयोध्याजीमें मरनेसे कल्याण है, मथुरा-वृन्दावनमें मरनेसे कल्याण है।

आप व्यवहार करें उस समय भगवान् श्रीरामचन्द्रजीको याद कर लें तो बहुत अधिक लाभ हो सकता है। कहना नहीं चाहिये मुझको तो बहुत लाभ हुआ है।

भगवान् को याद करते हुए, कीर्तन करते हुए, भगवन्नाम या कीर्तन सुनते हुए, भगवान् को नमस्कार करते हुए जो शरीर छोड़कर जाता है, उसका कल्याण हो जाता है।

भगवन्नामका जप करते हुए, कथा, गीताजी आदि सुनते हुए जो जाता है उसका कल्याण हो जाता है। महात्मा जो कहते हैं वे शब्द आकाशमें रहते हैं, कोई अधिकारी पुरुष आता है तो वे शब्द उसकी सहायता करते हैं, शब्द नित्य हैं।

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