भगवत्प्राप्ति सहज है
(श्रद्धेय स्वामी श्रीरामसुखदासजी महाराज)
नम्र निवेदन
मुक्ति सहज है
भगवान्से सम्बन्ध
अविनाशी बीज
सबमें भगवद्दर्शन
गृहस्थमें लोक-परलोक-सुधार
मनुष्यकी मूर्खता
बेईमानीका त्याग
मनुष्य-जन्म ही अन्तिम जन्म है
‘है’ (परमात्म-तत्त्व) की ओर दृष्टि रखें
साधन विषयक दो दृष्टियाँ
दूसरोंके हितका भाव
छूटनेवालेको ही छोड़ना है
स्वाभाविकता क्या है?
विनाशीका आकर्षण कैसे मिटे?
कर्म अपने लिये नहीं
कर्म, सेवा और पूजा