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एक महापुरुषके अनुभवकी बातें

(श्रद्धेय श्रीजयदयालजी गोयन्दका)

  1. निवेदन

  2. साधकोंके लिये बहुत ही महत्त्वकी बातें

  3. सिद्धान्तकी अनमोल बातें

  4. हे नाथ! मुझे दर्शन देने ही पड़ेंगे

  5. जो कुछ होता है, परमात्माकी दृष्टिमें होता है

  6. साधनमें खास बाधा—राग-द्वेष

  7. भावके अनुसार स्थिति

  8. पहले अपने दोष दूर करो

  9. सेवाकी महिमा

  10. भाव बदलनेसे संसार परमात्माके रूपमें दिखने लग जाता है

  11. भगवान् हमारे सम्मुख खड़े हैं

  12. गंगा-किनारे जप-ध्यान, सत्संग करना चाहिये

  13. काम, क्रोध, लोभ आदिके नाशके लिये उपाय—भजन, सत्संग

  14. भगवान् सदा हमारे साथ हैं, यह दृढ़ विश्वास रखो

  15. मान, बड़ाई, प्रतिष्ठाका त्याग

  16. पुरुषोंकी सीढ़ी-दर-सीढ़ी श्रेणियोंका वर्णन

  17. नित्य नियमसे अपने घरमें स्वाध्याय, भगवत् चर्चा करें

  18. मान, बड़ाई, प्रतिष्ठा पतन करानेवाली हैं

  19. सर्वत्र भगवान् को ही देखें

  20. भगवान् कैसे मिलें—यह लालसा बढ़ायें

  21. भगवत्प्रेमकी महिमा