गीता गंगा
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नवधा भक्ति
(श्रद्धेय श्रीजयदयालजी गोयन्दका)
निवेदन
नवधा भक्ति
श्रवण
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वन्दन
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सख्य
आत्मनिवेदन
उपसंहार
श्रीभरतजीमें नवधा भक्ति
(१) श्रवण-भक्ति
(२) कीर्तन-भक्ति
(३) स्मरण-भक्ति
(४) पादसेवन-भक्ति
(५) अर्चन-भक्ति
(६) वन्दन-भक्ति
(७) दास्य-भक्ति
(८) सख्य-भक्ति
(९) आत्मनिवेदन-भक्ति
उपसंहार