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भगवत्प्राप्ति कैसे हो?

(श्रद्धेय श्रीजयदयालजी गोयन्दका)

  1. निवेदन

  2. सब जगह भगवान् हैं मान लें

  3. भाव ऊँचा बनावें, भाव अपना है, अपने अधिकारकी बात है

  4. अपना भाव सुधारे, अपने भावकी ही महत्ता है

  5. मन, इन्द्रियोंके संयमकी आवश्यकता

  6. भगवान् श्रीरामके स्वरूपका ध्यान

  7. परमात्माकी शरण हो जायँ

  8. भगवान् की न्यायकारिता एवं दयालुता

  9. महात्माओंका प्रभाव

  10. मनुष्य-शरीरकी महिमा

  11. भक्ति सुगम साधन है

  12. मान-बड़ाईकी इच्छा भगवत्प्राप्तिमें बाधक

  13. गीताजीकी महिमा

  14. जीवन-सुधारकी बातें

  15. भगवान् के आनेकी विश्वासपूर्वक प्रतीक्षा करें

  16. काम करते समय भगवान् को साथ समझें

  17. मौन रहना, भजन करना

  18. भगवान् का तत्त्व समझकर प्रेम करें

  19. अपना जीवन सेवाके लिये है

  20. मुक्तिके लिये साधनकी आवश्यकता

  21. ईश्वरकी भक्ति और धर्मका पालन

  22. वैराग्यकी महिमा

  23. सार बातें—सत्संग, भजन और सेवा

  24. भक्त हनुमान्

  25. गरीबका कल्याण कैसे हो?